Hindi poem

मेरी माँ

सुबह जगाती,
रात सुलाती,
मीठी मीठी लोरी गाती,
मेरी माँ..

सीख सिखाती,
सब समझाती,
देश भक्ति के गीत सुनाती,
मेरी माँ..

स्नेह बढ़ाती,
द्वेष मिटाती,
बचपन को नित राह दिखाती,
मेरी माँ..

 

सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,
कितनी भोली भाली माँ.

तपती दोपहरी में जैसे,
शीतल छैया वाली माँ.

मुझको देख -देख मुस्काती,
मेरे आँसु सह न पाती.
मेरे सुख के बदले अपने,
सुख की बलि चढ़ाती माँ.

इसकी 'ममता' की पावन,
मीठी बोली है मन भावन,
कांटो की बगिया में सुन्दर,
फूलों को बिखराती माँ.

इसका आँचल निर्मल उज्जवल,
जिसमे हैं, नभ - जल -थल.
अपने शुभ आशिषों से,
हम को सहलाती माँ.

माँ का मन न कभी दुखाना,
हरदम इसको शीश झुकाना,
इस धरती पर माता बनकर,
ईश कृपा बरसाती माँ.

प्रेमभाव से मिलकर रहना,
आदर सभी बड़ो का करना,
सेवा, सिमरन, सत्संग वाली,
सच्ची राह दिखाती माँ.

सबसे भोली सबसे प्यारी,
सबसे न्यारी मेरी माँ.

 

द्वारा –स्नेहा पाटिल

कक्षा –छठी

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